Maa Shayari, Quotes in Hindi 2022

Maa Shayari, Quotes in Hindi 2022

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Maa Shayari, Quotes in Hindi

एक हस्ती है जो जान है मेरी। 
जो जान से बढ़कर शान है मेरी।
रब हुक्म दे तो कर दूँ सजदा उसे 
क्योंकि वो कोई और नहीं माँ है मेरी।

ये जो सख्त रास्तो पे भी आसान सफ़र लगता है ,
ये मुझ को माँ की दुआओ का असर लगता है।
एक मुद्दत हुई मेरी मां नही सोई यारो,
मेने एक बार कहा था के मुझे अंधेरो से डर लगता है।

बच्चों को खिलाकर जब सुलादेती है माँ,
तब जाकर थोडा सा सुकुन पाती है माँ।
प्यार कहते हैं किसे ? और ममता क्या चीज़ है
कोई उन बच्चों से पूछे जिनकी गुज़र जाती है माँ।

चाहे हम खुशियों में माँ को भूल जाएँ
जब मुसीबत सर पर आती है तो याद आती है माँ।

चलती फिरती आंखों से अजां देखी है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखी लेकिन मां देखी है।

मुझे माफ़ कर मेरे ऐ खुदा
झुक कर करू तेरा सजदा
तुझसे भी पहले माँ मेरे लिए
ना कर कभी मुझे माँ से जुदा।

जिसके होने से मैं खुद को मुक्कम्मल मानता हूँ,
में खुदा से पहले मेरी माँ को जानता हूँ।

मां वो सितारा है जिसकी गोद में जाने के लिए हर कोई तरसता है,
जो मां को नहीं पूछते वो जिंदगी भर जन्नत को तरसता है।

माँ की बूढी आंखों को अब कुछ दिखाई नहीं देता,
लेकिन वर्षों बाद भी आंखों में लिखा हर एक अरमान पढ़ लिया।

ना आसमां होता ना जमीं होती,
अगर मां तुम ना होती।

मां तुम्हारे पास आता हूं तो सांसें भीग जाती है,
मोहब्बत इतनी मिलती है की आंखें भीग जाती है।

मां तेरे एहसास की खुशबू हमेशा ताजा रहती है,
तेरी रहमत की बारिश से मुरादें भीग जाती है।

तकिए बदले हमने बेशुमार लेकिन तकिए हमें सुलाते नहीं,
बेखबर थे हम कि तकिए में मां की गोद को तलाशते नहीं।

राहे मुश्किल थी रोकने की कोशिश बहुत की,
लेकिन रोक न पाए क्योंकि मैं घर से मां के पैर छू निकला था।

हर घड़ी दौलत कमाने में इस तरह मशरूफ रहा मैं,
पास बैठी अनमोल मां को भूल गया मैं।

मुसीबतों ने मुझे काले बादल की तरह घेर लिया,
जब कोई राह नजर नहीं आई तो मां याद आई।

दुआ है रब से वो शाम कभी ना आए,
जब माँ दूर मुझसे हो जाए।

जमाने ने इतने सितम दिए की रूह पर भी जख्म लग गया,
मां ने सर पर हाथ रख दिया तो मरहम लग गया।

किसी भी मुश्किल का अब किसी को हल नहीं मिलता,
शायद अब घर से कोई मां के पैर छूकर नहीं निकलता।

रूह के रिश्तो की यह गहराइयां तो देखिए,
चोट लगती है हमें और दर्द मां को होता है।

जब दवा काम नहीं आती है,
तब माँ की दुआ काम आती है।

कोई सरहद नहीं होती,
कोई गलियारा नहीं होता,
अगर मां की बीच होती,
तो बंटवारा नहीं होता।

मुश्किल घड़ी में ना पैसा काम आया,
ना रिश्तेदार काम आये,
आँख बंद की तो सिर्फ मां याद आयी।

उम्र भर खाली यूं ही मकान हमने रहने दिया,
तुम गए तो दूसरे को कभी यहां रहने ना दिया,
मैंने कल सब चाहतों की किताबे फाड़ दी,
सिर्फ एक कागज पर लिखा मां रहने दिया।

कहीं भी चला जाऊं दिल बेचैन रहता है,
जब घर जाता हूं तो माँ के आंचल में ही सुकून मिलता है।

हर मंदिर, हर मस्जिद और हर चौखट पर माथा टेका,
दुआ तो तब कबूल हुई जब मां के पैरों में माथा टेका।

मां की दुआ को क्या नाम दूं,
उसका हाथ हो सर पर
तो मुकद्दर जाग उठता है।

मांगने पर जहां पूरी हर मन्नत होती हैं
माँ के पैरों में ही तो वो जन्नत होती है।

न जाने क्यों आज अपना ही घर मुझे अनजान सा लगता है, तेरे जाने के बाद माँ! घर-घर नहीं खाली मकान सा लगता है।

भरे घर में तेरी आहट मिलती नहीं मां
तेरी बाहों की नरमाहट कहीं मिलती नहीं मां
मैं तन पर लादे फिरता हूँ दुशाले रेशमी
लेकिन तेरी गोदी की गरमाहट कहीं मिलती नहीं मां।

मेरी दुनिया में इतनी जो शौहरत है मेरी माँ की बदौलत है,
ऐ मेरे भगवान और क्या देगा तु मुझे,
मेरी माँ ही मेरी सबसे बड़ी दौलत है।

मोहब्बत की बात भले ही करता हो जमाना,
मगर प्यार आज भी माँ से शुरू होता है।।

ये कहकर मंदिर से फल की पोटली चुरा ली माँ ने,
तुम्हे खिलाने वाले तो और बहुत आ जायगे गोपाल,
मगर मैने ये चोरी का पाप ना किया,
तो भूख से मर जायेगा मेरा लाल ।

भूल जाता हूँ परेशानियां ज़िंदगी की सारी,
माँ अपनी गोद में जब मेरा सर रख लेती है।

खयाल-ए-यार हर एक ग़म को टाल देता है,
सुकून दिल को तुम्हारा जमाल देता है,
ये मेरी माँ की दुआओ का फ़ैज़ है मुझपर,
मैं डूबता हूँ तो समंदर उछाल देता है।

चलती हुई हवाओ से खुशबू महक उठी है,
माँ-बाप की दुआओं से किस्मत चमक उठी है।

हालात बुरे थे मगर रखती थी अमीर बनाकर,
हम गरीब थे,ये बस हमारी माँ जानती थी।

जब-जब कागज पर लिखा मैने माँ का नाम,
कलम अदब से बोल उठी हो गये चारो धाम।

नींद अपनी भुला कर सुलाया हमको,
आंसू अपने गिरा के हंसाया हमको,
दर्द कभी न देना उन हस्तियों को,
ऊपर वाले ने माॅ-बाप बनाया जिनको!

मिलने को तो हज़ारो लोग मिल जाते हैं ,
लेकिन हज़ारो गलतियां माफ़ करने वाले “माँ-बाप” दुबारा नहीं मिलते।

हर रिश्ते में मिलावट देखी,
कच्चे रंगों की सजावट देखी,
लेकिन सालों साल देखा है ‎माँ को,
उसके चेहरे पे न थकावट देखी,
न ममता में मिलावट देखी।

जब भी गन्दा होता हूँ मैं वो साफ़ कर देती है,
अपनी हर संतान के साथ इन्साफ कर देती है,
नाराज होना तो फितरत होती है औलादों की माँ से,
लेकिन जब भी माफ़ी मांगो हर खता माफ़ कर देती है।

सरफिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जां कहते हैं,
हम जो इस मुल्क की मिट्टी को भी मां कहते हैं।

माँ से बड़कर कोई नाम क्या होगा,
इस नाम का हमसे एहतराम क्या होगा
जिसके पैरों के नीचे जन्नत है
उसके सर का मक़ाम क्या होगा।

मां तो जन्नत का फूल है
प्यार करना उसका उसूल है,
दुनिया की मोह्ब्बत फिजूल है
मां की हर दुआ कबूल है,
मां को नाराज करना इंसान तेरी भूल है,
मां के कदमो की मिट्टी जन्नत की धूल है।

सर पर जो हाथ फेरे तो हिम्मत मिल जाये,
माँ एक बार मुस्कुरा दे तो जन्नत मिल जाये।

पहाड़ो जैसे सदमे झेलती है उम्र भर लेकिन,
इक औलाद की तकलीफ़ से माँ टूट जाती है।

आँख खोलू तो चेहरा मेरी माँ का हो,
आँख बंद हो तो सपना मेरा माँ का हो,
मैं मर भी जाऊ तो कोई गम नहीं,
लेकिन अगर कफन मिले तो दुपट्टा मेरी माँ का हो।

लबो पर उसके कभी बददुआ नहीं होती,
बस एक माँ है जो कभी खफा नहीं होती।

इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है,
माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है।

मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आंसू,
मुद्दतों से माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना।

चलती हुई हवाओ से खुशबू महक उठी है,
माँ-बाप की दुआओं से किस्मत चमक उठी है।

गरीब हूँ किसी ज़रदार से नहीं मिलता,
जमीर बेच कर किसी मक्कार से नहीं मिलता,
जो हो सके तो इसको संभाल कर रखना,
ये माँ का प्यार है बाजार में नहीं मिलता।

एक बेवफा को मैंने गले से लगा लिया,
हीरा समझ कर काँच का टुकड़ा उठा लिया,
दुश्मन तो चाहता था मुझको मिटाना मगर,
माँ की दुआओ ने मुझको बचा लिया।

गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारें है कितने,
भला कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी।

बर्तन माज कर माँ चार बेटो को पाल लेती है,
लेकिन चार बेटो से माँ को दो वक्त की रोटी नही दी जाती।

खाली पड़ा था मकान मेरा,
जब माँ घर आयी तो घर बना।

उसकी डांट में भी प्यार नजर आता है,
माँ की याद में दुआ नजर आती है।

बिना हुनर के भी वो चार ओलाद पाल लेती है,
कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी।

तन्हाई क्या होती उस माँ से पूछो,
जिसका बेटा घर लौट कर नही आया।

रब से करू दुआ बार-बार
हर जन्म मिले मुझे माँ का प्यार
खुदा कबूल करे मेरी मन्नत
फिर से देना मुझे माँ के आंचल की जन्नत।

न तेरे हिस्से आयी न मेरे हिस्से आयी,
माँ जिसके जीवन में आयी उसने जन्नत पायी।

वो लिखा के लाई है किस्मत में जागना,
माँ कैसे सो सकेगी कि बेटा सफ़र में है।

ऐ अँधेरे देख मुँह तेरा काला हो गया,
माँ ने आँखें खोल दी घर में उजाला हो गया।

माँ कर देती है पर गिनाती नहीं है,
वो सह लेती है पर सुनाती नहीं है।
मेरी तक़दीर में कभी कोई गम नही होता,
अगर तक़दीर लिखने का हक़ मेरी माँ को होता।

कौन सी है वो चीज़ जो यहाँ नहीं मिलती, 
सब कुछ मिल जाता है पर माँ नहीं मिलती।

काम से घर लौट कर आया तो सबने पूछा क्या लाए,
बस एक मां ने पूछा बेटा कुछ खाया कि नहीं।

घर में धन, दौलत, हीरे, जवाहरात सब आए,
लेकिन जब घर में मां आई तब खुशियां आई।


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