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शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद

द्वारका एवं शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का रविवार को निधन हो गया। इनका गंगा आश्रम मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के झोतेश्वर में हैं। उन्होंने रविवार (11 Sept, 2022) को यहां दोपहर 3.30 बजे ली अंतिम सांस ली। वे 99 साल के थे। 

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शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को हिंदुओं का सबसे बड़ा धर्मगुरु माना जाता था। इन्हे स्वतंत्रता सेनानी, रामसेतु रक्षक, गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करवाने वाले और रामजन्मभूमि के लिए लंबा संघर्ष करने वाला धर्म गुरु माना जाता है।

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वे गौरक्षा आंदोलन के प्रथम सत्याग्रही, रामराज्य परिषद के प्रथम अध्यक्ष, पाखंडवाद के प्रबल विरोधी रहे हैं।

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स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म एमपी के सिवनी में 2 सितंबर 1924 को हुआ था। वे 1982 में गुजरात में द्वारका शारदा पीठ और बद्रीनाथ में ज्योतिर मठ के शंकराचार्य बने थे। शंकराचार्य सरस्वती के माता-पिता ने बचपन में उनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा था। उन्होंने 9 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था और धर्म की तरफ रुख किया। 

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स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म एमपी के सिवनी में 2 सितंबर 1924 को हुआ था। वे 1982 में गुजरात में द्वारका शारदा पीठ और बद्रीनाथ में ज्योतिर मठ के शंकराचार्य बने थे। शंकराचार्य सरस्वती के माता-पिता ने बचपन में उनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा था। उन्होंने 9 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था और धर्म की तरफ रुख किया। 

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उन्होंने काशी (यूपी) में वेद-वेदांग और शास्त्रों की शिक्षा ली। स्वामी स्वरुपानन्द सरस्वती ने आजादी की लड़ाई में भी हिस्सा लिया था। उन्होंने 15 महीने की जेल में सजा काटी। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने यूपी के वाराणसी में 9 और मध्य प्रदेश में 6 महीने जेल की सजा काटी थी।

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का सोमवार (12 Sept, 2022) दोपहर साढ़े तीन बजे नरसिंहपुर स्थित आश्रम में उनके पार्थिव शरीर को भूसमाधि दी जाएगी।

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